बुधवार, 5 मई 2010


आव हो..... इहां जगह बा ....

सोमवार, 8 मार्च 2010

रेल के स्पंदन से दूर मेरा गाँव




सोमवार, 15 फ़रवरी 2010

१९८७ -तत्कालीन रेलमंत्री माधवराव सिंधिया से पुरस्कार ग्रहण करते हुए रामदेव सिंह

शनिवार, 6 फ़रवरी 2010

रेल यात्रा : कुछ कविताएं

(१)
रेल में बैठा आदमी
झांक रहा है खिड़की से
गुजरती है दृश्य -चित्रों की श्रृंखला
-नदी की वेगवती धारा
पेड़ों की कतारें
कलाकृतियाँ बनते शिलाखंड
खुरपी के गीत गाती
धरती की बेटियां
भैंसों की पीठ से
इशारा करते नासमझ बच्चे
नारियल कुञ्ज को चीरकर निकलता
मंदिर का सफ़ेद गुम्बद
झुरमुट में डूबता रक्ताभ गोल पिंड
गाड़ी रूकती है
फिर चलती है
पटरी बदलते ही गति तेज होती है
बनता है एक और चित्र
-पगडण्डी पर हांफते -हांफते
थम गए हैं पांव
युवा ग्राम्य दम्पति के
निराश आँखों से देखते हैं
एक -दूसरे को
जिनकी अभी -अभी छूट गयी है
रेलगाड़ी ....